Mahashivratri 2024: भगवान शिव को भस्म क्यों प्रिय और शिवलिंग की आधी परिक्रमा क्यों की जाती है ?
Krishna Pandit KAPSMarch 08, 2024
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Mahashivratri 2024: भगवान शिव को भस्म क्यों प्रिय और शिवलिंग की आधी परिक्रमा क्यों की जाती है ?
खास बातें
Mahashivratri Puja Vidhi Live Updates News in Hindi: आज देशभर में बड़े ही शुभ योग में महाशिवरात्रि मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। सनातन धर्म में महाशिवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व होता है। इस पर्व पर पूरे दिन व्रत रखते हुए शिव मंदिरों में जलाभिषेक और विशेष धार्मिक आयोजन होते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था।
लाइव अपडेट
02:13 PM, 08-MAR-2024
Mahashivratri 2024 Pujan Time: महाशिवरात्रि पर कैसे करें शिव आराधना
महाशिवरात्रि का व्रत सात्विक रहते हुए विधिपूर्वक रखकर शिवपूजन,शिवकथा,शिव चालीसा,शिवस्रोंतों का पाठ और 'ॐ नमः शिवाय' का जप करते हुए रात्रि जागरण करने से अश्वमेघ के समान फलों की प्राप्ति होती है।
01:34 PM, 08-MAR-2024
Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि पर क्या न करें
- पूजा के दिन तामसिक भोजन न करें। - इस दिन मदिरापान नहीं करना चाहिए। - घर में या फिर बाहर किसी के साथ लड़ाई-झगड़ना न करें। - शिवलिंग पर भूलकर भी केतकी, कनेर, तुलसी दल, सिंदूर आदि न चढ़ाएं - शिवलिंग पर शंख से जल अर्पित न करें।
01:11 PM, 08-MAR-2024
Mahashivratri 2024 Pujan Time: महाशिवरात्रि पर शिवजी की पूजा में जरूर शामिल करें ये चीजें
महाशिवरात्रि पर निशीथ काल में पूजा करना शुभ फलदायी होता है। आज 09 मार्च को आधी रात को 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक मुहूर्त है। भगवान शिव की पूजा में शहद, गन्ने का रस, भांग, धतूरा और शमी के पत्रों का जरूर शामिल करना चाहिए।
01:01 PM, 08-MAR-2024
Shivratri 2024 Shubh Muhurat: महाशिवरात्रि पूजा मुहूर्त
शास्त्रों के अनुसार महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की विशेष पूजा बहुत ही फलदायी मानी जाती है। महाशिवरात्रि के दिन पूजा का समय शाम 06 बजकर 25 मिनट से 09 बजकर 28 मिनट तक है। इस समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना बहुत ही शुभ और लाभदायक मानी जाती है।
Mahashivratri 2024: आज विशेष योग में महाशिवरात्रि, जानिए शुभ मुहूर्त और कैसे करें शिव आराधना
12:08 PM, 08-MAR-2024
ॐ नमः शिवाय मंत्र जाप के लाभ
वेद-पुराणों के अनुसार शिव अर्थात सृष्टि के सृजनकर्ता को प्रसन्न करने के लिए सिर्फ “ॐ नमः शिवाय”का जप ही काफी है। भोलेनाथ इस मंत्र से बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। इस मंत्र के जप से आपके सभी दुःख, सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं और आप पर महाकाल की असीम कृपा बरसने लगती है।
11:39 AM, 08-MAR-2024
इन मंत्रों के जाप से शिवजी को करें प्रसन्न
ॐ नमः शिवाय शिवजी का यह मंत्र बहुत चमत्कारी माना जाता है। महाशिवरात्रि के दिन इस मंत्र का जाप 108 बार करें। यह मंत्र व्यक्ति के शरीर और दिमाग को शांत करता है और महादेव भी उसपर अपनी कृपा बनाए रखते हैं।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥ यह महामृत्युंजय जाप है। इस मंत्र को सबसे ज्यादा प्रभावशाली माना जाता है।
11:01 AM, 08-MAR-2024
भगवान शिव को भस्म क्यों प्रिय है ?
शिव पुराण के अनुसार भस्म धारण करने मात्र से ही सभी प्रकार के पापों का नाश हो जाता है भस्म को शिव जी का ही स्वरूप माना गया है जो मनुष्य पवित्रता पूर्वक भस्म धारण करता है और शिव जी का गुणगान करता है उसे शिवलोक में आनंद मिलता है।
10:44 AM, 08-MAR-2024
शिवलिंग पर जल क्यों चढ़ाते हैं ?
भगवान भोलेनाथ की पूजा-आराधना और उपासना में शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाने की परंपरा है। दरअसल पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब समुद्र मंथन के हलाहल विष निकला था। इस विष के प्रभाव से समूची सृष्टि में प्रलय मच गया था। तब इस विष को शिवजी ने अपने कंठ में धारण कर लिया था। विष के दुष्प्रभाव के कारण शिवजी के शरीर का ताप बहुत अधिक बढ़ गया था। तब शिवजी के शरीर का ताप कम करने के लिए सभी देवताओं ने मिलकर जल और दूध की धारा चढ़ाई गई। इस कारण से शिवलिंग पर दूध, दही, शहद और जल से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है।
10:21 AM, 08-MAR-2024
शिवलिंग की आधी परिक्रमा क्यों की जाती है?
Mahashivratri 2024 - फोटो : एएनआई
आज सभी शिवभक्त महाशिवरात्रि के मौके पर भोलेभंडारी की पूजा-अर्चना में भक्ति भाव से लीन हैं। शिवजी को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर मात्र एक लोटा जल ही काफी होता है। शिवलिंग दो हिस्सों में बना होता है। एक लिंग और दूसरा जलाधारी। ग्रंथों में शिवलिंग की पूजा और परिक्रमा के कुछ नियम बताए गए हैं,जिससे ये जल्दी ही प्रसन्न होते हैं। यदि नियमों का उल्लंघन किया जाए तो शिव पूजा के फल नहीं मिलते और भोलेनाथ रुष्ट होते हैं। शिवलिंग के नीचे का भाग,जहां से शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल बाहर आता है,वह पार्वती भाग माना जाता है।
शिवलिंग की परिक्रमा कभी पूरी नहीं करनी चाहिए। शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा आधी करनी चाहिए। शिवलिंग की परिक्रमा आधा कर वापस हो लेना चाहिए।शिवलिंग की परिक्रमा आधा करने के साथ ही दिशा का भी ध्यान करना चाहिए। शिवलिंग की परिक्रमा बाईं ओर से शुरू करनी चाहिए। साथ ही जलहरी तक जाकर वापस लौट कर दूसरी ओर से परिक्रमा करनी चाहिए।
शिवलिंग की जलाधारी को भूल कर नहीं लांघना चाहिए। मान्यता के अनुसार ऐसा करना अशुभ माना जाता है। शिवलिंग की जलाधारी को ऊर्जा और शक्ति का स्त्रोत माना गया है। यदि परिक्रमा करते हुए इसे लांघा जाए तो मनुष्य को शारीरिक परेशानियों के साथ ही शारीरिक ऊर्जा की हानि का भी सामना करना पड़ता है।
10:10 AM, 08-MAR-2024
Mahashivratri 2024: शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर
आज देशभर में बड़े उत्साह और भक्तिभाव से महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जा रहा है। हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है। इसे मासिक शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इस तरह से एक वर्ष में 12 मासिक शिवरात्रि होती है। वहीं फाल्गुन माह में आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। सभी शिवरात्रियों इसका महत्व सबसे ज्यादा होता है। इसे महाशिवरात्रि इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान भोलेनाथ ने वैराग्य त्यागकर देवी पार्वती से विवाह किया था।