देवी भागवत कथा के छठवें दिवस आचार्य डॉ पुष्कर परसाई जी कहा कि श्रीमद् देवी भागवत कल्पवृक्ष के समान हैं जैसे कल्पवृक्ष समस्त मनोकामना को पूर्ण करता है ठीक है उसी प्रकार देवी भागवत श्रवण से भगवती की भक्ति से समस्त कामनाएँ पूर्ण होती हैं देवी भागवत श्रवण से मां की भक्ति तो मिलती ही है साथ में मुक्ति भी भगवती प्रदान करती है भगवती को चैत्र और अश्विन की नवरात्र परम प्रिय हैं मां को शुक्रवार का व्रत प्रदोष का व्रत कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत प्रिय है जो इन व्रत को करता है उसे पर मां कृपा करती है आगे कथा सुनाते हुए आचार्य श्री ने कहा कि दुर्गम देते ने अत्यंत कठिन तपस्या करी ब्रह्मा जी से वरदान मांगा मुझे वेद प्रदान करिए | वेद को प्राप्त किया यह दुर्गम दैत्य वेदों का लोप करना चाहता था वेदों की रक्षा के लिए भगवती ने इस दुर्गम दैत्य का किया इसलिए भगवती का नाम दुर्गा हुआ
कथा में श्रद्धेय गुरुदेव श्री नरेश परसाई जी का पदार्पण हुआ उन्होंने कहा कि घर में वृद्धि का सम्मान मां का सम्मान साक्षात जगदंबा का सम्मान है जिस घर में नारी सुख से रहती है माता-पिता सुख से रहते हैं उसे घर में भगवती निवास करती हैं उसे घर में भगवान रहते हैं इसलिए हमें वृद्धो का माता-पिता का सम्मान करना चाहिए तदुपरांत कथा व्यास आचार्य श्री
ने नवरात्रि के महत्व को बताया नवरात्रि में देवी की उपासना से सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही मोक्षकी प्राप्ति होती है।
वहीं उन्होंने बताया कि श्री देवी भागवत पुराण के अनुसार ब्रह्म की तीनों शक्तियां देवी के अधीन हैं। संसार में जो शरीर प्राप्त हुआ है, जिसे हम अपना मान लेते हैं और उसी के अधीन होकर हम दुख भोगते हैं।
सो परत्र दुख पावहिं, सिर धुनि धुनि पछताइ।
कालहि कर्महि ईश्वरहि, मिथ्या दोष लगाहिं।।
अतः इस भौतिक शरीर से ईश्वर की आराधना करें। संसार की उत्पत्ति का मूल कारण अहंकार है। संसार की सभी समस्याओं का मूल कारण अहंकार है।
कथा नित्य प्रति 1:30 बजे से 4:30 बजे तक चल रही है आयोजन समिति ने सभी भक्तों से कथा में पधारने का निवेदन किया