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कार्तिक पूर्णिमा पर सांडिल्य ऋषि की तपोभूमि सांडिया मे लगा मेला, कई वजहों से कर्तिक पूर्णिमा को मिली प्रसिद्धि



पिपरिया कार्तिक पूर्णिमा को 'त्रिपुरी पूर्णिमा' भी कहा जाता है । धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था । त्रिपुरासुर के वध के बाद देवताओं ने शिवलोक यानी काशी में दीपावली मनाई थी । तभी से यह परंपरा चली आ रही है । कार्तिक पूर्णिमा को लेकर एक और मान्यता है कि इस दिन अन्न धन वस्त्र का दान और उपासना करने से जातक के सभी दुख-दर्द दूर होते हैं । नर्मदा तट जाने को श्रद्धालुओं का लगा तांता पिपरिया से लगे आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों व छिंदवाड़ा जिला से और लगभग 150 किलोमीटर की दूरी का सफर वाहन, पैदल, साष्टांग दंडवत प्रणाम तय करते आते हैं। इस बीच में श्रद्धालु भक्तों को माँ नर्मदा के सेवकों द्वारा नर्मदा तट तक चाय,नाश्ता, भोजन प्रसादी उनके पास पहुंचा कर दी जाती रही । नर्मदा तट बजार घाट ,सीताराम घाट, सिवनी घाट,तक लगभग एक लाख श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी लिया पुण्य लाभ मेले में सत्यनारायण भगवान जी की कथा का किया श्रवण,नर्मदा जी की पूजनअर्चनकर भंडारे प्रसादी का भोग पाकर मेले का लिया आनंद,  कार्तिक पूर्णिमा धार्मिक मेले में
करीब एक डेढ़ लाख श्रद्धालुओं के आने के संभावना प्रशासन ने जताई है। पिपरिया से सांडिया तक सुरक्षा के पुकता इंतजाम किया गया है। शुक्रवार की सुबह से नर्मदा दर्शन, पूजन और स्नान-दान का क्रम घाट पर जारी रहा । प्रभारी एसडीम अनिल जैन, एसडीओपी मोहित यादव, तहसीलदार वैभव बैरागी, नायब अनिल बैश, तीरथ प्रसाद इरपांची, मंगलवारा थाना प्रभारी गिरीश त्रिपाठी और विजय सनस मेले की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
सरपंच रामजी दीक्षित, ग्राम पंचायत स्टाफ, कोटवार, चौकी प्रभारी किशन ऊइके, सभी पटवारी, होमगार्ड जवान, गोताखोर घाट पर तैनात है। शाम तक ये सिलसिला जारी रहेगा।
 

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