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बहना आपने भाई को कलाई पर राखी बांधते |
राखी बांधने के लिए 9 अगस्त का पूरा दिन शुभ:
नर्मदापुरम 07/08/2025 (छगन कुशवाहा पिपरिया) नर्मदापुरम् पिपरिया ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ व्यास के अनुसार, आमतौर पर रक्षाबंधन पर भद्रा काल की वजह से शुभ मुहूर्त में अड़चनें आती हैं, लेकिन इस बार भद्रा का साया नहीं रहेगा। इस बार भद्रा 8 अगस्त को दोपहर 2:12 बजे से शुरू होकर रात 1:52 बजे तक रहेगा, जो कि रक्षाबंधन की तिथि से पहले ही समाप्त हो जाएगी। ऐसे में 9 अगस्त का पूरा दिन त्योहार मनाने के लिए शुभ समय रहेगा।
इस बार राखी के दिन कई शुभ योग जैसे सौभाग्य योग, शोभन योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इन योगों में किया गया कोई भी शुभ कार्य विशेष फलदायी होता है और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। स दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5 बजकर 47 मिनट से दोपहर 2 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। सौभाग्य योग प्रात:काल से लेकर 10 अगस्त को तड़के 2 बजकर 15 मिनट तक है। शोभन योग 10 अगस्त को तड़के 2 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 22 मिनट से 5 बजकर 04 मिनट तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा।
रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम और विश्वास का प्रतीक पर्व है, जो हर साल श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। साल 2025 में रक्षाबंधन का त्योहार 9 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं।
राखी बांधते समय कुछ धार्मिक नियमों का पालन करना आवश्यक होता है, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है राखी में गांठ बांधने की परंपरा। शास्त्रों के अनुसार, राखी बांधते समय बहन को रक्षा सूत्र में तीन गांठें बांधनी चाहिए।
इन तीन गांठों का खास महत्व है –
• पहली गांठ सुख, समृद्धि और दीर्घायु का प्रतीक होती है।
• दूसरी गांठ प्रेम और विश्वास का संकेत देती है।
• तीसरी गांठ मर्यादा, धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
इस तरह राखी सिर्फ एक धागा नहीं, बल्कि बहन की भावनाओं, आशीर्वाद और भाई के प्रति उसके विश्वास का प्रतीक बन जाती है।
वहीं, कई बहनें राखी बांधते समय पांच गांठें भी लगाती हैं। यह परंपरा पंच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) से जुड़ी मानी जाती है। ऐसी राखी बांधते समय बहन पूरे श्रद्धा भाव से भगवान से अपने भाई की रक्षा, सफलता और समृद्धि की कामना करती है।
राखी बांधते समय एक विशेष मंत्र का उच्चारण करना भी शुभ माना जाता है:
“ॐ येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥”
इस मंत्र का अर्थ है कि जिस रक्षा सूत्र से महान राजा बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधती हूं। हे रक्षासूत्र, तुम अडिग रहो।
इस पर्व को मनाने के पीछे यही भावना होती है कि भाई-बहन का यह पवित्र बंधन सदैव अटूट बना रहे।
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