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कपास बीज के लिए 41 डिग्री गर्मी में भी लाइन में अड़े रहे किसान









मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के यह किसान नहीं है बंधु यह हमारे देश के अन्नदाता हैं यह वह मेहनतकश वर्ग है जो पूरे विश्व में भारत को कृषि प्रधान देश की उपाधि प्रदान करवाता है और पूरे देश की अर्थव्यवस्था को संबल प्रदान करता है चाहे कोरोना कल जैसी विभीषीका ही क्यों ना हो. लेकिन लाइन में लगना उसकी नियति है वह भाग्य में लिखवा कर आया है इसमें सरकारों का कोई दोष नहीं पैदा करने के लिए बीजके लिए लाइन में लगना फिर पैदा करने के लिए खाद के लिए लाइन में लगना फिर बेचने के लिए कड़ी मशक्कत करते हुए सोसायटी अथवा मंडी में लाइन में लगना और येन केन  प्रकारेण बगैर हुज्जत के फसल बिक जाने के बाद सहकारी बैंक में बिकी हुई फसल का भुगतान प्राप्त करने के लिए लाइन में लगना इस प्रकार अनेक प्रकार की लाइने है जिसमें उसको लगना है इसी को अन्नदाता किसान कहते हैं और यही उसकी परिभाषा है. इसमें किसी सरकार का या किसी जनप्रतिनिधि का कोई दोष नहीं है ऐसा उनका कहना है इसलिए हे मेरे मुल्क के मालिकों अब जागीए भारतीय किसान संघ के सदस्य बनिए संगठित होकर अपने आत्म सम्मान की रक्षा करना सीखिए भारतीय किसान संघ नर्मदापुरम द्वारा किसान हित में जारी. 

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