भोपाल नर्मदापुरम।दिनांक 27/ 6/ 2024 (दयाराम कुशवाहा भोपाल) नर्मदापुरम। में शोर वाली हिंसा -कब होगी कार्यवाही, रोडबेज और स्कूली बसो में प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्ले से बज रहे प्रेशर हॉर्न सड़कों पर हो रही यात्री बसों के चालक तेज गति से वाहन दौड़ाने के साथ प्रेशर हॉर्न बजाकर राहगीरों को विचलित करने से बाज नहीं आ रहे हैं. हद तो तब हो होती है जब ट्रैफिक नियमों की धज्जियां बसों के द्धारा उड़ाई जाती है. निजी बस चालक तो प्रेशर हॉर्न बजाना बस की पहचान और अपनी दबंगाई के साथ जोड़ते हैं.।
शासन ने एयर प्रदूषण को कम करने के लिए प्रेशर हाॅर्न पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया गया है। इसके बावजूद जिले में इसका धड़ल्ले से प्रयोग हो रहा है। पुलिस व परिवहन विभाग द्वारा चलाए जा रहे वाहन चेकिंग अभियान के दौरान ऐसे वाहनों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। तेज आवाज में रहने के कारण सबसे खराब प्रभाव स्कूली बच्चों,महिलाओ,बुर्जुगो व दिल के मरीजो पर पड़ता है। तेज आवाज सिर्फ कान के पर्दे को ही प्रभावित नहीं करते, इससे मानसिक संतुलन भी बिगड़ता है। लगातार तेज आवाज में रहने के कारण धीरे-धीरे सुनने की क्षमता कम हो जाती है। 80 डेसिबल तक आवाज वाले सभी तरह गाड़ियों में लगे हार्न मान्य हैं। 85 डेसिबल या इससे अधिक ध्वनि के संपर्क में आने से आपकी सुनने की क्षमता खराब हो जाती है। एक सामान्य बातचीत लगभग 60 डेसिबल की ध्वनि पर रिकॉर्ड होती है। श्रवण हानि का जोखिम लगभग 70 डीबी से शुरू होता है।नर्मदापुरम पुलिस एवं परिवहन विभाग तेज एयर हॉर्न रोकने में विफल। लगता है शोर स्तर निगरानी मीटर उपकरण विभाग के पास है ही नहीं। जिसका वह उपयोग कर शोर स्तर को कम कर सके।