भोपाल, 27/12/2024 (दयाराम कुशवाहा भोपाल,) कुशवाहा समाज के प्रेरणा स्रोत स्वर्गीय मोहन सिंह पटैल, शारीरिक रूप से अब हमारे बीच में नहीं है, किन्तु उनकी मानसिक चेतना आज भी हमारे मनो मस्तिष्क में है। स्वर्गीय मोहन सिंह कुशवाहा का जन्म ग्राम काटजू नगर पोस्ट पलोह बड़ा तहसील गाडरवारा जिला नरसिंहपुर में दिनांक 1/3/ 1954 को जन्म हुआ और वहीं पर पढ़े-लिखे और उनका पूरा जीवन पलोह गाडरवारा नरसिंहपुर के बीच व्यतीत हुआ और उन्होंने अपने प्रारंभिक शिक्षा के साथ-साथ जनसमाज मैं अपने जीवन की एक छाप छोड़ दी एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में और वह दिनांक 27/ 12/ 2023 को इस संसार से विदा हो गए । जाते-जाते भी वह अपना जीवन का वह राज छोड़ गए जो सदियों तक कुशवाहा समाज के लिए प्रेरणा स्त्रोत रहेगा।
आज, प्रथम पुन्यतिथि पर, हम उनके जीवन के गहरे प्रभाव को याद कर रहे हैं। वे ज्ञान, प्रेम और शक्ति के प्रतीक थे, हमेशा अपनी करुणा और दृढ़ता से हमारा मार्गदर्शन करते रहे। यद्यपि वे अब हमारे साथ नहीं हैं, उनकी स्मृतियाँ अमर हैं। उनकी हँसी, कहानियाँ और परिवार के प्रति स्नेह हमें प्रेरणा और शांति प्रदान करते हैं। उनका जाना एक अपूरणीय क्षति है, परन्तु उनकी विरासत उनके द्वारा स्थापित मूल्यों और उनके अपार प्रेम में जीवित है। हम आशा करते हैं कि हम उनके आदर्शों पर चलते हुए, उन्हें गौरवान्वित करेंगे। उनकी स्मृति में, हम एक वृक्षारोपण कर रहे हैं, जिसकी छाया उनकी उपस्थिति का एहसास दिलाएगी।
बहुत ही कम लोग हैं जो जीवन भर संघर्ष करते हैं, उनमें इनका नाम ही है ऐ हमारे लिए गौरव की बात है।
समाज में उनके नेतृत्व में अनेक सामाजिक कुरीतियों पर कुठाराघात करने वाले कार्य क्रम चलें। जबतक वो रहे उन्होंने समाज से कुरितियों को दूर करने का भरसक प्रयास किया। उनका न रहना हम सबको एक शून्य पन का अहसास कराता है। आज उनकी प्रथम पुन्यतिथि तिथि है। उनको याद करके उनके वयक्तित्व कृतित्व को प्रणाम करते हैं।
उनके द्वारा बताये गये रास्ते वास्तव में समाज को सशक्त करने वाले है। अन्याय का विरोध ओर आम आदमी साथ खड़े होने के उनके साहस ने उन्हें अमर कर दिया है। उनके न रहने पर भी उनकी शिक्षा सदैव आत्मबल ओर ऊर्जा देती रहेगी। उनको नमन् हैं ।
देह दान करने का लिया संकल्प
हर इंसान की जिन्दगी की किताब में अच्छे व बुरे कार्यों का लेखा जोखा रहता है उसके आधार पर ही लोग उसे इस दुनिया से चले जाने के बाद सदा याद करते है? वही इंसान की जीवन में यह भी सत्य होता है कि जब उसने इस दुनिया में जन्म लिया है तो एक न एक दिन उसकी मृत्यु होना भी अनिश्चत रहता है और कुछ कहा जाता है कि मृत्यु के उपरांत इंसान के साथ कुछ नही जाता है कि उसके द्वारा कमाया गया धन दौलत हो या फिर उसका शरीर ही क्या न हो सुब कुछ वह यहां रही जाता है, साथ जाता है तो सिर्फ उसके द्वारा किये हुए वह अच्छे कार्य जिन्हें बाद में लोगों द्वारा सदा याद किया जाता है और मानव शरीर की सच्चाई तो इस प्रकार से होती है कि मृत्यु के उपरांत उसके परिजनों द्वारा भी चंद घंटों के बाद उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है? मगर कुछ लोगों की सोच इस प्रकार की होती है कि वह अपनी मृत्यु के बाद भी छोड़े जाने वाले शरीर को लेकर सोच रखते है कि शायद उसका शरीर किसी के कोई काम आ सके और इसी सोच के चलते वह अपनी जीवित रहते हुए उसे शरीर को देहदान के रूप में समर्पित कर देते है? कुछ इसी प्रकार की सच्चाई इस समय समीपस्थ ग्राम कारजू नगर निवासी मोहन सिंह पटेल द्वारा किये जाने का निर्णय लिया गया है जिन्होंने ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान भोपाल को एक आवेदन पत्र देते हुए मृत्यु उपरांत अपनी देहदान करने संबंधी आवेदन दिया गया है, जिसके चलते इस संस्थान द्वारा मोहन पटैल द्वारा लिए गये इस निर्णय को लेकर उन्हे आभार पत्र देते हुए कहा गया है कि हमे आपका 16 अगस्त 2017 का पत्र एवं देह दान हेतु फार्म प्राप्त हुआ, हमें खुशी है कि आप एक योग्य कारण के लिए मृत्यु के बाद देह हमारी संस्था को दान करने के इच्छुक है, हमे आशा है कि आपसे प्रेरित होकर कई लोग अपना देह दान कर मानवता की सेवा करना चाहेगे, अपके द्वारा लिये गये इस महान निर्णय से आपका नाम हमारे रिकार्ड में दर्ज किया गया है, आपके विचार है कि आप मृत्यु के उपरांत भी किसी के लिए उपयोगी हो सकते है। -