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पद्मशेष नागदेवता के दर्शन
नागद्वारी 19 जुलाई से चलने वाला 29 जुलाई 2025 को यह मेला नागपंचमी के दिन यात्रा का समापन होगा।
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नर्मदापुरम 28/07/2025 (छगन कुशवाहा पिपरिया) नर्मदापुरम् पिपरिया नागद्वारी मेला 2025 रिमझिम बारिश के बीच ढोल की थाप पर नाचते जयकारे लगाते भक्त, पूरी कर रहे नागद्वारी यात्रा दस दिवसीय चलने वाला मेला आज संपन्न हो जायेगा ।
पचमढ़ी की वादियाँ इस समय श्रद्धा, भक्ति और उल्लास से सराबोर हैं। नागद्वारी मेले के दसवें दिन तक लगभग पांच लाख श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। रिमझिम बारिश, ढोल की थाप, जयकारों की गूंज और भक्तों के उत्साह से संपूर्ण पचमढ़ी क्षेत्र तथा मेला मार्ग भक्तिमय हो उठा है। प्रतिदिन भारी संख्या में श्रद्वालू दर्शन हेतु पहुँच रहे हैं।
कलेक्टर एवं एसपी ने सोमवार को मेला क्षेत्र का किया सघन निरीक्षण किया ।
भगवान भोलेनाथ की नगरी पचमढ़ी में पद्मशेष नागदेवता के दर्शन करने के लिए साल में एक बार की जाने वाली नागद्वारी यात्रा 19 जुलाई से निरंतर चालू है एवं कल 29 जुलाई नागपंचमी के दिन यात्रा का समापन होगा। प्रारंभिक तिथि से नागपंचमी तक अनुमानित 5 लाख श्रद्धालु नाग देवता के दर्शन कर चुके हैं। कल मंगलवार को अंतिम दिवस भी श्रद्धालुओ का अनवरत रेला लगा रहेगा।
दस दिनों तक चलने वाले इस मेले का कल संध्या आरती के उपरांत समापन किया जायेगा।
नागद्वारी मेले में आने वाले भक्त नागद्वार गुफा में विराजित भगवान पदम्शेष के करने पहुंचते हैं। भक्तों की मान्यता है कि पद्मशेष भगवान मन्नतों का देवता हैं। यही कारण है कि सात पहाड़ों को पार कर लगभग 20 किमी से अधिक की कठिन यात्रा कर श्रद्धालु नागद्वार गुफा तक पहुंचते हैं। नागद्वारी को लेकर कई रहस्यमयी कहानियां भी प्रचलित हैं। कई लोग इस गुफा को पाताल लोक का प्रवेश द्वार कहते हैं तो कई ऐसे भी श्रद्धालु हैं जो इसे भगवान शंकर के गले में विराजित नाग देवता का घर मानते हैं।
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कई साल पुराना है नागद्वारी यात्रा का इतिहास |
नागद्वारी गुफा का इतिहास आदिकाल से प्रचलित है। नागद्वार स्वामी सेवा ट्रस्ट मंडल के अध्यक्ष उमाकांत झाडे बताते हैं कि, "कई वर्षों से यह यात्रा अनवरत जारी है। भगवान महादेव ने भस्मासुर से बचने के लिए अपने गले के नाग को यहां छोड़ा था। उसी समय से यह नाग देवता पदम् शेष का स्थान रहा है। मुगल कालीन लेखों से लेकर अंग्रेज अफसर केप्टन जेम्स फॉरसिथ की बुक सभी में नागद्वारी यात्रा का स्पष्ट उल्लेख मिलता है।
पचमढी के वृद्धजनों द्वारा भी बताया जाता है कि सन 1800 में अंग्रेजों के साथ राजा भभूत सिंह की सेना का युद्ध हुआ था। तब अंग्रेजी सेना पर हमला करने के बाद राजा भभूत सिंह और उनकी सेना ने नागद्वारी के आसपास स्थित गुफाओं और कंदराओं को विश्राम करने के लिए उपयोग किया जाता था। इन्हीं गुफाओं में अंग्रेजों से लड़ने की गुप्त रणनीति बनाई जाती थी।
राजा भभूत सिंह का साथ देने के लिए आदिवासी और मराठा नाग देवता के दर्शन करने के लिए पैदल चलकर नागद्वारी आते थे। गुफा के पास काजरी क्षेत्र में आज भी शहीद सैनिकों की अनेकों समाधियां स्थित हैं। मराठा और आदिवासी परिवार उसी दौर से यहां यात्राएं कर रहे हैं। उसके बाद नागद्वारी गुफा में शिवलिंग स्थापित किया गया, महज पांच फीट चौड़ी और 100 फीट लंबी गुफा में नाग देवता की प्रतिमा का पूजन लोग करते हैं।
यह रहस्यमयी रास्ता सीधे नागलोक को जाता है, पूर्ण होती है मनोकामनाएं
पचमढ़ी को कैलाश पर्वत के बाद महादेव का दूसरा घर कहते हैं. इसीलिए महादेव के साथ उनके गणों ने भी पचमढ़ी में अपना स्थान बनाया है. सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी की घनी पहाडिय़ों के बीच एक ऐसा देवस्थान है जिसे नागलोक का मार्ग या नागद्वार के नाम से जाना जाता है. |
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प्रकृती का सौंदर्य दृश्य |
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प्रकृति झरने मे भक्त नहाते |
धार्मिक महत्व की कहानियां प्रचलित
पुजारी उमाकांत झाडे बताते हैं कि 'लगभग 200 वर्ष पहले महाराष्ट्र के राजा हेवत चंद और उसकी पत्नी मैनारानी ने नागदेवता से संतान प्राप्ति की मन्नत मांगी थी मन्नत पूरी होने पर नागद्वारी पहुंचकर नाग देवता की आंख में काजल लगाने का वचन दिया था। पुत्र के थोड़ा बड़े होने के बाद भी मैना रानी नागद्वारी नहीं गई। कई लोगों के समझाने के बाद रानी नागद्वारी यात्रा पर निकली। नाग देवता पहले बाल स्वरूप में मैना रानी के समक्ष आंख में काजल लगाने के लिए आए, लेकिन रानी ने काजल नहीं लगाया इसके बाद नाग देवता विशाल रूप में प्रकट हो गए। यह देख मैना रानी बेहोश हो गई। नाग देवता ने आक्रोशित होकर उनके पुत्र श्रवण कुमार को डस लिया। श्रवण कुमार की समाधि भी काजरी क्षेत्र में बनी है."
नागद्वारी मंदिर के पुजारी के अनुसार नाग देवता से संतान की मन्नत मांगने लाखों लोग आते हैं और उनकी मुराद भी पूरी होती है। मन्नत पूरी होने पर लोग दोबारा भगवान को चढ़ावा चढ़ाने के लिए आते हैं। नाग पंचमी पर पदम्शेष भगवान के दर्शन और पूजन करने से तथा सर्पाकार पगडंडियों पर चलकर भगवान के दर्शन करने से कालसर्प दोष दूर होता है, इस कारण बड़ी संख्या में यहां लोग कालसर्प दोष दूर करने के लिए आते हैं।
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श्री नागद्वार स्वर्गद्वार पदम शेष
पदमशेष (वासुकी नाग) का परिवार
श्रद्धालूओं की मान्यता है कि पदमशेष वासूकी नाग अपनी देवियों चित्रशाला एवं चिंतामणी के साथ निवास करते थे। जो कि मुख्य मंदिर से पहले से प्रतिष्ठित हैं, यहां पर पूजा के रूप में हलवा एवं नारियल चढाया जाता है तथा अग्नी द्वार एवं स्वर्गद्वार में नींबू की भेट दी जाती है। भक्तों का कहना है कि यहाँ मांगी गई हर
मान्यता पूर्ण होती है।
प्रतिवर्ष में बस एक बार होते है यात्रा की अनुमति सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र का जंगल होने के कारण नाग पंचमी के मौके पर सिर्फ 10 दिनों के लिए मार्ग खोला जाता है। अन्य दिनों में प्रवेश वर्जित होता है। श्रद्धालुओं को साल में सिर्फ एक बार ही नागद्वारी की यात्रा और दर्शन का सौभाग्य मिलता है। यहां हर साल नागपंचमी के मौके पर एक मेला लगता है। जिसमें लोग पचमढी से जलगली, नागफनी, कालाझाड, चिंतामन, पश्चिमद्वार होते हुए कई किलोमीटर पैदल चलकर नागद्वार पहुंचते हैं। जिसमें अधिकतर संख्या महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के भक्तों की रहती है।कहा जाता है कि अमरनाथ यात्रा के समान ही नागद्वारी यात्रा भी दुर्गम रास्तों को पार कर भगवान के मंदिर तक पहुंचने वाली धर्मिक यात्रा है। इसलिए इस यात्रा को मध्य प्रदेश की अमरनाथ यात्रा भी कहा जाता है। अतिरिक्त दण्डाधिकारी नर्मदापुरम श्री डीके सिंह, सचिव महादेव मेला समिति श्रीमति अनीशा श्रीवास्तव द्वारा काजरी का दौरा किया गया जिसमें प्लास्टिक, पालिथीन का इस्तेमाल, गीला एवं सूखा कचरा अलग अलग रखने हेतु दुकानदारों को समझाईस दी गई। मेला क्षेत्र में रखी पानी की टंकियों को टेंकर से भरवाने के निर्देश उपस्थित सेक्टर अधिकारियों को दिये गये, जिससे भक्तों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
आबकारी विभाग द्वारा गठित दलों ने बडा महादेव, गुप्त महादेव, डीपी एरिया, पहली पायरी, जलगली, नागफनी, काला झाड, भजिया गिरी, फॉरेस्ट नाका, नालंदा पुरम पर गश्त कर कार्यवाही कर 47 लीटर हाथ भटटी कच्ची शराब जब्त की गई। मेला क्षेत्र में आबकारी विभाग द्वारा निरंतर कार्यवाही की जा रही हैँ। परिवहन विभाग द्वारा कार्यवाही करते हुए बिना परिमट वाहनों पर रु० 10,000/- की चालनी कार्यवाही की गई एवं ओवर लोडिंग चल रहे वाहनों की चेकिंग भी निरंतर की जा रही है।
पुलिस बल तथा स्वास्थ विभाग के कर्मचारियों द्वारा दुर्गम स्थलों पर अपनी सेवाऐं 24 घण्टें दी जा रही हैं। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए भी एसडीआरएफ एवं होमगार्ड जवान निरंतर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। पुलिस एवं होमगार्ड के जवानों की सहायता से मेले में उपचार के लिए श्रद्धालुओं को त्वरित सहायता उपलब्ध कराई जा रही है एवं गंभीर स्थिति बनने पर एंबुलेंस के माध्यम से सीएचसी तक पहुंचाया जा रहा है। नागद्वारी मेला क्षेत्र में महाराष्ट्र राज्य से लगभग 50 से 55 सेवा मंण्डलो द्वारा मेले में आने वाले श्रद्वालुओ के लिये निःशुल्क रात्रि विश्राम, भोजन एवं प्रसादी की भी व्यवस्था की जाती है। मेला क्षेत्र में लगभग 394 परिमिट वाहनों द्वारा भक्तों को बस स्टाप से जलगली तक छोडने की व्यवस्था हेतु जिला प्रशासन द्वारा वाहन परमिट जारी किये गये हैं। जिला प्रशासन के आला अधिकारियों द्वारा प्रतिदिन डुयुटी प्वाईंट का निरीक्षण कर मानिटिरिंग की जा रही है तथा व्यवस्थाओं को निरीक्षण कर दुरस्त किया जा रहा है एवं आवश्यक सामग्रीयों की आपूर्ति सुनिश्चित करवाई जा रही है।

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