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भोपाल गांधी शिल्प बाजार 2025 : भारत की कला-संस्कृति और हस्तशिल्प का संगम

 

दिनांक: 19 से 28 सितंबर 2025
स्थान: मध्य प्रदेश राज्य सहकारी संघ परिसर, 8/77 तेलंगाना रोड, शाहपुरा, भोपाल

 भोपाल।26/09/2025 (दयाराम कुशवाहा) भोपाल। राजधानी भोपाल में हर वर्ष की तरह इस बार भी मध्य प्रदेश राज्य सहकारी संघ मर्यादित द्वारा आयोजित “गांधी शिल्प बाजार 2025” का भव्य शुभारंभ 19 सितंबर को हुआ। यह आयोजन 28 सितंबर तक चलेगा। इस दस दिवसीय हाट-बाजार में देशभर के कोने-कोने से आए हस्तशिल्प कलाकारों और कारीगरों ने अपनी पारंपरिक कलाओं का प्रदर्शन किया है।

देशभर से पहुंचे शिल्पकार और हस्तनिर्मित वस्तुएं

इस वर्ष के आयोजन में लगभग 25 राज्यों से 300 से अधिक हस्तशिल्प कारीगरों ने भाग लिया है। हर प्रदेश अपनी विशिष्ट कला, बुनाई, कपड़ा, मिट्टी, लकड़ी, धातु और आभूषण शिल्प की झलक लेकर आया है।



  • मध्य प्रदेश
    से चंदेरी और महेश्वरी साड़ियों, भील और गोंड जनजातीय चित्रकला, टेराकोटा, पत्थर की मूर्तियां, बांस से बने घरेलू सामान और सागौन की लकड़ी के फर्नीचर प्रमुख आकर्षण हैं।

  • पश्चिम बंगाल से बांकुरा की टेराकोटा मूर्तियां, कांताशिल्प (सुई कढ़ाई), बालूचरी और तांत साड़ियां, डॉकरी ज्वेलरी और जूट उत्पादों की सुंदर श्रृंखला प्रदर्शित की गई है।

  • राजस्थान से ब्लॉक प्रिंटेड कपड़े, बंधनी साड़ियां, मोजरी, राजस्थानी कठपुतलियां और नक्काशीदार पीतल-तांबे के सामान लोगों को आकर्षित कर रहे हैं।

  • उत्तर प्रदेश से बनारसी सिल्क, चिकनकारी कार्य, पीतल के बर्तन, संगमरमर की जड़ाई और लकड़ी की खिलौना कला ने लोगों का मन मोह लिया है।

  • गुजरात से पटोला साड़ियां, कुच क्राफ्ट, कढ़ाईदार दुपट्टे और हेंडीक्राफ्ट आभूषण बाजार की शोभा बढ़ा रहे हैं।

  • कश्मीर से पश्मीना शॉल, पेपर माशे, ऊनी जैकेट और कालीनों की प्रदर्शनी लोगों को शीतल पर्वतीय कला का अनुभव करवा रही है।

  • तेलंगाना व आंध्र प्रदेश से इकत और कालमकारी साड़ियां, पीतल की मूर्तियां और लकड़ी की नक्काशीदार वस्तुएं आकर्षण का केंद्र हैं।

  • बिहार व झारखंड से मधुबनी पेंटिंग्स, सीकोल आर्ट, लोक कढ़ाई और बाँस-टोकरी कला ने ग्रामीण सौंदर्य की झलक दी है।

  • ओडिशा से पिपली एप्लीक वर्क, फिलीग्री ज्वेलरी और पारंपरिक हैंडलूम परिधान बाजार की शान बने हुए हैं।

  • दक्षिण भारत के केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक से नारियल की छाल, बेंत-बाँस के उत्पाद, कांसे के बर्तन और हैंडलूम ड्रेस मटेरियल की खूब मांग देखी जा रही है।


  • ग्रामीण कारीगरों के उत्थान का माध्यम

गांधी शिल्प बाजार का मुख्य उद्देश्य देश के ग्रामीण व कारीगर समुदाय को आर्थिक सहयोग और मंच उपलब्ध कराना है। इस बाजार से कारीगरों को सीधे उपभोक्ताओं से संपर्क का अवसर मिलता है। सहकारी संघ द्वारा इस आयोजन के माध्यम से “वोकल फॉर लोकल” अभियान को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।



मनोरंजन व खानपान की विशेष व्यवस्था

ग्राहकों की सुविधा और आनंद के लिए बाजार में सांस्कृतिक संध्या, लोक संगीत और नृत्य कार्यक्रमों का आयोजन प्रतिदिन किया जा रहा है। वहीं खाने-पीने के लिए विभिन्न राज्यों के व्यंजनों वाले फूड स्टॉल्स भी लगाए गए हैं — जिनमें दिल्ली का चाट, मुंबई का वड़ा पाव, राजस्थान का दाल-बाटी, दक्षिण का डोसा और बिहार का लिट्टी-चोखा लोगों को खूब लुभा रहे हैं।



सरकार की पहल

सहकारी संघ एवं राज्य शासन द्वारा इस आयोजन के माध्यम से विभिन्न कारीगर प्रोत्साहन योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, हस्तशिल्प विकास योजना, स्वयं सहायता समूह सशक्तिकरण अभियान आदि की जानकारी भी दी जा रही है।

निष्कर्ष

“गांधी शिल्प बाजार भोपाल” न केवल खरीदारी का अवसर है, बल्कि यह भारत की विविध कला-संस्कृति, परंपरा और ग्रामीण सृजनशीलता का सजीव मंच है।

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