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पिपरिया में 27 वर्ष बाद अनोखा आयोजन—अन्न के 30 प्रकार के दानों से सजी मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा








 नर्मदापुरम 29/09/2025  (छगन कुशवाहा पिपरिया) नर्मदापुरम् पिपरिया , शारदीय नवरात्रि पर्व पर खेड़ापति माता मठ समिति ने अपनी अद्भुत कला और भक्ति का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। पूरे 27 वर्ष बाद समिति के प्रतिभाशाली कलाकारों ने मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा का पुनः निर्माण किया।


इस अद्वितीय प्रतिमा को तैयार करने में देव वर्मा, शैलेन्द्र शर्मा और मुख्य सहयोगी अमित वर्मा की विशेष भूमिका रही, जबकि समिति के सभी सदस्यगण ने अपनी मेहनत और सृजनशीलता से इस कार्य को सफल बनाया।
विशेषता यह रही कि अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा को लगभग 30 प्रकार के अन्नदानों से सजाया गया।

हर एक अन्न के दाने को प्रतिमा में बारीकी से जड़कर देवी का अद्भुत स्वरूप दिया गया, जिसे देखने वाले श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।

सिर्फ प्रतिमा ही नहीं, पंडाल को भी समिति के सदस्यों ने अपने हाथों से गेहूं के जवारों से हराभरा सजाया। 


हरे-भरे पंडाल के मध्य विराजमान अन्नपूर्णा देवी का अद्वितीय दृश्य भक्तों के लिए दिव्य आस्था और समृद्धि का प्रतीक बन गया।
स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं ने इस अद्भुत रचना की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन न केवल भक्ति का अनुपम उदाहरण है बल्कि परंपरा और कला का दुर्लभ संगम भी है।

27 वर्ष पहले भी हुई थी स्थापित
खेड़ापति माता मठ में 27 वर्ष पूर्व मां अन्नपूर्णा का दरबार सजाया गया था। समिति के स्व. डॉ. देवेंद्र वर्मा ने वर्ष 1997 में अपनी अलौकिक कला का प्रदर्शन करते हुए मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा विभिन्न प्रकार के अनाजों से बनाकर यहां स्थापित कराई थी। इस अद्भुत कृति को एक बार फिर समिति के सदस्यों ने उनकी स्मृति में बनाकर स्थापित किया है।
समिति के अध्यक्ष रघुराज वर्मा ने बताया कि तीन महीनों से तक लगातार मूर्ति का निर्माण किया गया।  एक-एक अनाज के दाने का प्रयोग बारीकी से किया गया है। प्रतिमा बनाने वाले कलाकार और स्थापित करने वाले समिति के सक्रिय सदस्यों की मेहनत से मां अन्नपूर्णा देवी का दरबार सज पाया है।

पृथ्वी पर अन्नपूर्णा ने लिया अवतार
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार जब पृथ्वी पर अन्न की कमी हो गयी थी, तब माँ पार्वती ने माँ अन्नपूर्णा के रूप में अवतार लिया और पृथ्वी लोक पर अन्न उपलब्ध कराकर समस्त मानव जाति की रक्षा की थी। जिस दिन माँ अन्नपूर्णा की उत्पत्ति हुई, वह मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा थी। देवी अन्नपूर्णा का एक हाथ हमेशा दान मुद्रा में होता है।

बारिश भी नहीं रोक पाई उत्साह
शहर में 65 से अधिक स्थानों पर देवी प्रतिमाएं स्थापित की गई है। पिछले दो दिनों से रुक-रुक कर हो रही बारिश के कारण कई पंडालों के आसपास पानी का जमाव हो गया है। सड़कों पर बारिश का पानी और कीचड़ हो गई है। लेकिन इसके बावजूद भी शहर के लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ है। देवी दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु रिमझिम बारिश के बीच भी दर्शन करने के लिए सड़कों पर निकल रहे हैं। हालांकि बारिश के कारण कई देवी पंडालों में झांकियां नहीं सजाई गई। लेकिन इसके बावजूद भी एक से बढ़कर एक सजावट के साथ पंडालों में देवी प्रतिमाएं लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। देवी समितियां के सदस्यों के अनुसार अभी तीन दिन शेष हैं। इस दौरान शहर के लोगों को एक से एक झांकियां देखने को मिलेगी



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