निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने साफ कहा – “अस्पताल सिर्फ नाम के लिए साफ नहीं होना चाहिए, हर वार्ड, हर खंड चमकना चाहिए। सफाई स्टाफ को कार्योन्मुख करें, रोस्टर बनाएं और उसी हिसाब से नियमित सफाई करवाएं।”
कलेक्टर ने भर्ती मरीजों और प्रसूताओं से सीधे संवाद कर भोजन, दवाइयों और सुविधाओं का फीडबैक लिया। मरीजों ने खुलकर अपने अनुभव साझा किए।
इस पर कलेक्टर ने बीएमओ को सख्त निर्देश दिए कि “मरीजों की देखभाल में किसी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं होगी। माताओं और नवजातों की नियमित जांच और मॉनिटरिंग अनिवार्य है।”
पोषण परामर्श को लेकर भी उन्होंने विशेष चिंता जताई। कलेक्टर ने कहा – “गर्भवती महिलाओं को सही पोषण जानकारी मिलना जरूरी है। ग्रामीण क्षेत्रों में पोषण शिविर आयोजित करें और महिलाओं को जागरूक करें। बच्चों के पोषण और परिवार की देखभाल में पुरुषों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए ‘मेन स्ट्रीमिंग’ अभियान को हर हाल में सक्रिय करें।”
कलेक्टर ने उमंग कक्ष का निरीक्षण कर यह भी स्पष्ट निर्देश दिए कि वहां आने वाली किशोरियों की काउंसलिंग और मॉनिटरिंग महिला स्वास्थ्यकर्मी की उपस्थिति में ही की जाए।
बैठक में कलेक्टर ने खाद्यान्न वितरण, आदि कर्मयोगी अभियान, और स्वस्थ नारी सशक्त परिवार अभियान की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों से कहा – “लक्ष्य स्पष्ट रखें, योजनाओं को कागजों तक सीमित न रखें। ई-केवाईसी के आधार पर हितग्राहियों को खाद्यान्न वितरण शीघ्र पूरा करें और ग्राम कार्य योजनाएं समय पर पोर्टल पर अपलोड हों।”
निरीक्षण के दौरान एसडीएम देवेंद्र प्रताप सिंह, तहसीलदार वैभव बैरागी, सीएमएचओ डॉ. नरसिंह गहलोत सहित स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर, कर्मचारी और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
कलेक्टर मीना का यह निरीक्षण पूरे स्वास्थ्य अमले के लिए एक बड़ा संदेश है – अब ढिलाई, अव्यवस्था और सफाई में लापरवाही किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं की जाएगी।



