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| “संपादक अजय ठाकरे पर दर्ज झूठे प्रकरण की निष्पक्ष जांच हो, परिवार को न किया जाए परेशान” |
पत्रकारों ने इसे पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर कुठाराघात और लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध कदम करार दिया।
कलेक्ट्रेट परिसर में सौंपा ज्ञापन
ज्ञापन जिला कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को सौंपा गया। इस दौरान जिलेभर के मीडिया संस्थानों से जुड़े सैकड़ों पत्रकार, संपादक और संवाददाता उपस्थित रहे।
सभा में पत्रकारों ने एक स्वर में कहा —
“हमें भयमुक्त माहौल में काम करने दें, सच्चाई दिखाना अपराध नहीं है।”
पत्रकार समाज पर बढ़ रहा दबाव
पत्रकार संगठनों ने कहा कि सिवनी सहित पूरे प्रदेश में पत्रकार जनता और प्रशासन के बीच सेतु का कार्य करते हैं। वे समाज के मुद्दे, भ्रष्टाचार और प्रशासनिक कमियों को उजागर करते हैं ताकि शासन तक सच्ची आवाज़ पहुँचे।
लेकिन कई बार सत्य दिखाने की सज़ा दी जाती है — धमकियाँ, दबाव और झूठे प्रकरण दर्ज करने जैसी घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं।
“पत्रकार पर झूठा केस दर्ज करना न केवल व्यक्ति पर हमला है, बल्कि लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर करने का प्रयास है।”
— वरिष्ठ पदाधिकारी, पत्रकार संघ
मामला क्या है?
ज्ञापन के अनुसार सिवनी कोतवाली पुलिस ने अपराध क्रमांक 899/2025 के तहत
धारा 121(1), 132, 221, 296, 324(4), 351(3), 191(2) में 8 से 10 व्यक्तियों को आरोपी बनाया है,
जिनमें अजय ठाकरे का नाम भी शामिल है।
पत्रकार संगठनों ने बताया कि ठाकरे केवल समाचार कवरेज के लिए मौके पर मौजूद थे, फिर भी उन्हें षड्यंत्रपूर्वक आरोपी बनाया गया।
पुलिस द्वारा उनके घर पहुँचकर गिरफ्तारी का प्रयास किए जाने पर पत्रकारों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।
“यह कार्रवाई पत्रकारों को डराने और दबाव में लाने का प्रयास है।”
— प्रेस क्लब सिवनी प्रतिनिधि
पत्रकारों की प्रमुख माँगें
पत्रकार संगठनों ने मुख्यमंत्री से निम्न माँगें कीं —
1️⃣ अजय ठाकरे पर दर्ज प्रकरण की निष्पक्ष व उच्चस्तरीय जांच कराई जाए।
2️⃣ जांच पूरी होने तक परिवार को परेशान न किया जाए।
3️⃣ पुलिस की भय प्रदर्शित करने वाली कार्रवाई रोकी जाए।
4️⃣ प्रदेश में “Journalist Protection Law” शीघ्र लागू किया जाए।
5️⃣ पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज करने से पूर्व राजपत्रित अधिकारी से जांच कराई जाए।
6️⃣ घटनास्थल पर पत्रकारों को भीड़ का हिस्सा मानने की प्रवृत्ति बंद की जाए।
“लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला”
पत्रकारों ने कहा कि इस तरह की घटनाएँ लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा प्रहार हैं।
“अगर पत्रकार भय में रहेंगे तो जनता की आवाज़ कौन उठाएगा?”
उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह आलोचना को स्वीकार करे, न कि उसे दबाए।
स्वतंत्र पत्रकारिता ही लोकतंत्र की असली ताकत है।
उच्च अधिकारियों को भेजी गई प्रतिलिपि
ज्ञापन की प्रतिलिपि पुलिस महानिदेशक (भोपाल), पुलिस महानिरीक्षक (जबलपुर) और उप पुलिस महानिरीक्षक (छिंदवाड़ा) को भी भेजी गई है।
पत्रकार संगठनों ने सरकार से अपील की है कि इस मामले को गंभीरता से लेकर पत्रकारों को निर्भीक वातावरण प्रदान किया जाए।
“पत्रकारिता अपराध नहीं — यह समाज का दर्पण है।”
— मीडिया मंच सिवनी
पत्रकारों ने कलेक्ट्रेट परिसर में सौंपा ज्ञापन,
बड़ी संख्या में मौजूद रहे मीडिया प्रतिनिधि
