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भगवान की प्राप्ति का सहज साधन है श्रीमद्भागवत - आचार्य पुष्कर परसाई

 

नर्मदापुरम 20/04/2025 (दयाराम कुशवाहा नर्मदापुरम))   हाउसिंग बोर्ड  में आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान सप्ताह में तृतीय दिन आचार्य श्री पुष्कर परसाई जी ने द्वितीय स्कन्द पर प्रकाश डालते हुए कहा श्रीमद् भागवत पितरों के कल्याण का उत्तम साधन है सतयुग में त्रेता में द्वापर में हजारों वर्ष तपस्या करने से बड़े-बड़े यज्ञ करने से योग साधना करने से जिस फल की प्राप्ति होती थी वह इस कलिकाल में केवल श्रीमद् भागवत की कथा श्रवण मात्र करने से प्राप्त हो जाती है जिस स्थान पर कथा का आयोजन होता है वहां पितर  आकर के कथा का श्रवण पान करते हैं एवं बहुत सी अदृश्य शक्तियां भी उपस्थित होकर के कथा का श्रवण पान करती हैं श्रीमद्भागवत कथा मन निर्मल करने का सर्वोत्तम उपाय है क्योंकि प्रभु की प्राप्ति निर्मल मन वाले जीवों को शीघ्र हो जाती है ।भगवान सहज सरल जिसके हृदय में छल कपट नहीं है ऐसे जीव को सरलता से प्राप्त हो जाते हैं  ।

इसके आचार्य श्री ने कहा कि मन को स्थिर करने के चार उपाय है पहला आसन को जीते- क्योकि आसन सिद्धि ही प्रभू प्राप्त करवाती है दूसरा उपाय बताया शवास को जीते ,,प्रति दिन  प्राणायाम के माध्यम से श्वास पर नियंत्रण करे क्योकि हमें आयु वर्ष से नहीं श्वास से प्राप्त होती है हम श्वास जितना नियंत्रण करेंगे उतनी आयु वृद्धि होगी पहले हमारे ऋषि मुनि हजारो वर्ष इसलिए ही जीते थे की उन्होंने अपनी श्वास पर नियंत्रण था ।तीसरा संग को जीते ।संग का जीवन में बहुत प्रभाव पड़ता है आप किसी किसान के साथ छः महीने रहेंगे तो पता चल जायेगा खेती कैसे करनी है वैसे है अगर आप चोर के साथ रहेंगे तो आप चोरी कैसे करनी है ज्ञान हो जायेंगा ये संग का ही तो प्रभाव है ठीक इस तरह किसी संत के साथ रहने से प्रभु प्राप्ति कैसे होगी ये ज्ञान प्राप्त हो जायेगा।

 चौथा उपाय बताया इंद्रियों को जीते ।इंद्रियों पर नियंत्रण करे धीरे धीरे क्रोध को जीते गृहस्थ धर्म में रहते हुए भी काम पर विजय प्राप्त करें ।

विस्तार करते हुए आचार्य पुष्कर जी ने कहा कि   हनुमान जी जब लंका गए तो देखा कि वहाँ विभीषण के निवास पर हरि मंदिर बना हुआ था वहां रामायुध से अंकित था किन्तु आज घर में अतिथि कक्ष पढ़ाई कक्ष सहित कई कक्ष होते है पर भगवान् का कक्ष का स्थान रखना हम भूल गए है किन्तु भवन घर तब बनता है जब घर में गौ माता हों घर में तुलसी का पौधा हो घर मंदिर बनता है जब घर के प्रवेश पर रामायुध अंकित हो और जब घर मंदिर बनजाता है ।इसके पश्चात आचार्य पुष्कर जी ने देवी मदालसा का चरित्र सुनाते हुए कहा माता चाहे तो पुत्र को संत बना दे माता चाहे तो पुत्र को चोर डाकू बना दे । आचार्य श्री ने  कलिसंतोपर्णोपनिषद् का उदाहरण देते हुए कहा कि हरे राम हरे कृष्ण का जो जाप करते है वे कलयुग के प्रभाव से सदैव अप्रभावित रहते हैं ।

कथा प्रतिदिन 4 बजे से 7 बजे तक हो रही है।

आयोजक श्री एम एल वर्मा ने चतुर्थ दिवस कृष्ण जन्मोत्सव में अधिक से  अधिक लोगो से पधारने का निवेदन किया ।।

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