आश्चर्यजनक रूप से इस भारी वन संपत्ति की क्षति को वनमंडल अधिकारी सा0 नर्मदापुरम द्वारा कथित रूप से छुपाया गया। विभागीय प्रक्रिया के अनुसार इस प्रकार के एक ही घटना को एक संयुक्त प्रकरण वन अपराध प्रकरण में दर्ज किया जाना चाहिए परंतु वनमण्डलाधिकारी नर्मदापुरम ने इस पूरे नुकसान को छिपाने के उद्देश्य से चार अलग.अलग वन अपराध प्रकरणों में विभाजित कर मामला कमजोर करने का प्रयास किया।
इससे स्पष्ट होता है कि विभागीय स्तर पर घोर लापरवाही या मिलीभगत का संदेह है। स्थानीय वन अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर प्रश्न उठने लगे हैं वहीं वन्य विभाग की प्रतिष्ठा पर भी दाग लग रहा है। वन क्षेत्र 112 Rf में अवैध कटाई उपरांत 1 वर्ष बीत जाने पर वर्षा पूर्व ठूंठ ड्रेसिंग एवं वर्ष उपरांत निकले कपिस का समग्र ध्यान नहीं रखा जाना डीएफओ कि वन सुरक्षा में बेरुखी या ज्ञान की कमी प्रतीत होती है।
इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच हेतु अब राज्य स्तरीय उड़न दस्ते दल से जांच से ही स्थित स्पष्ट हो सकेगी ताकि वास्तविक क्षति का आकलन कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जा सके। साथ ही हानि की राशि की वसूली वन मंडल अधिकारी नर्मदापुरम से करने की कार्यवाही की जाये।