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गौ सेवा भगवत प्राप्ति सहज साधन है : डॉक्टर पुष्कर परसाई

 

ग्राम बीकोर माखन नगर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के पंचम दिन भगवान् कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कथा व्यास आचार्य डॉक्टर पुष्कर परसाई जी ने कहा भगवान् से सम्बन्ध स्थापित होना चाहिए ।ग्वाल बालों ने मित्रवत भगवान् को पा लिया ,गोपियों ने प्रेम से ,वृद्धों ने पुत्रवत व शिशुपाल कंस आदि दैत्यों ने द्वेष व शत्रुवत भगवान् को प्राप्त कर लिया ।इसलिए भगवान् से कोई न कोई सम्बन्ध स्थापित अवश्य करें ।इसके पश्चात आचार्य श्री ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं  विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि मनुष्य जन्म लेकर भी जो व्यक्ति पाप के अधीन होकर इस भागवत रूपी पुण्यदायिनी कथा को श्रवण नहीं करते, तो उनका जीवन बेकार है। जिन लोगों ने इस कथा को सुनकर अपने जीवन में इसकी शिक्षाएं आत्मसात कर ली, उन्होंने अपने पिता-माता  दोनों के ही कुल का उद्धार कर लिया। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण ने गोवर्धन की पूजा करके इंद्र का मान मर्दन किया। भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने का साधन गौ सेवा है। श्रीकृष्ण ने गौ को अपना आराध्य मानते हुए पूजा एवं सेवा कर बताया कि गौ सेवक कभी निर्धन नहीं होता। आचार्य श्री ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लेते ही कर्म का चयन किया। बाल कृष्ण ने जन्म के छठे दिन ही शकटासुर का वध कर दिया। सातवें दिन पूतना को मौत की नींद सुला दिया। तीन महीने के थे तो कान्हा ने व्योमासुर को मार गिराया। प्रभु ने बाल्यकाल में ही कालिया वध किया और सात वर्ष की आयु में गोवर्धन पर्वत को उठा कर इंद्र के अभिमान को चूर-चूर किया। गोकुल में गोचारण किया तथा गीता का उपदेश देकर हमें कर्मयोग का ज्ञान सिखाया।कालिनाग मानमर्दन की कथा सुनाते हुए आचार्य श्री ने कहा कि स्वयं भगवान् ने किया था यमुना मैया का शुद्धिकरण ।उन्होंने सभी भक्तों से आवाहन किया कि जिस प्रकार भगवान् ने विषैले कालिय नाग को यमुना मैया से बाहर कर दिया था उसी प्रकार हम सबको भी देव नदियों में प्रवाहित विषयुक्त पॉलीथिन ,साबुन आदि का न तो प्रयोग करना चाहिए और यदि कोई कर रहा हो तो उसे भी रोकना चाहिए।

इसके पूर्व आचार्य श्री ने कहा कि क्या खाएं क्या न खाए इसका विचार मनुष्य को अवश्य करना चाहिए। विचार करना चाहिए कि कहीं आप किसी माँ के पुत्र को तो नही खा रहे ,कहीं आप किसी जीव की हत्या के दोषी तो नहीं बन रहे हैं प्रयास करें सात्विक कहानी मांसाहार का त्याग करें तदुपरांत भगवान गिरिराज की पूजन हुई भगवान को छप्पन व्यंजन का भोग लगाया गया ।

कथा का समय 1बजे 4 बजे तक है

आयोजन में गौरव तिवारी बसंत रावत मनोरमा तिवारी कीर्ति शर्मा आदि उपस्थित रहे

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