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अभिमान रहता है वहां राम नहीं रहते- आचार्य डॉ पुष्कर परसाई जी

 ग्राम बिकोर माखन नगर आयोजित श्रीमद्भागवत ज्ञान सप्ताह में छटवे दिन की कथा सुनाते हुए आचार्य डॉ पुष्कर परसाई जी ने भगवान् बालालीलाओं का संगीतमय वर्णन किया। गोपीगीत की व्याख्या की भगवान् श्री कृष्ण की मथुरा गमन का मार्मिक चित्रण किया .आचार्य श्री ने बताया प्रेम रहित हृदय से भक्ति संभव नही कंस वध की कथा सुनाते हुए आचार्य श्री ने बताया कि भगवान को जो जिस भाव से भजता है भगवान् वैसे ही रूप को धारण कर लेते है।रासलीला पर प्रकाश डालते हुए आचार्य श्री ने कहा कि जीवात्मा का परमात्मा से संयोग तथा पूर्ण कृपा प्राप्त करना ही रासलीला का उद्देश्य था। ब्रह्म और जीव का मिलन ही रास है, जो माया के आवरण से रहित शुद्ध है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण और गोपियों के बीच हुए रासलीला से आत्मा से परमात्मा का मिलन हुआ है। ये सांसारिक मिलन नहीं बल्कि आत्मा व परमात्मा के बीच का मिलन है।आचार्य श्री ने कहा कि संकीर्ण मानसिकता से भगवान कृष्ण की लीलाये समझना असंभव है इसके लिए मन की निर्मलता और हृदय में भक्ति होना आवश्यक है।आचार्य श्री ने बताया कि भौमासुर के पास बंदी बनाई गई सोलह हजार कन्याओं की समाज मे सम्मान बनाये रखने के उद्देश्य से भगवान ने उन सभी सोलह हजार कन्याओं से विवाह किया ।इसके पश्चात उद्धव चरित्र का मार्मिक चित्रण करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि भक्ति प्रेम की पराकाष्ठा है ।परमात्मा को ज्ञान के द्वारा जाना जा सकता है किंतु यदि परमात्मा को पाना है तो एक मात्र साधन प्रेम ही है ।नारद भक्ति सूत्र में तो नारद जी ने भक्ति को प्रेम की पराकाष्ठा बताया है ।इसके पश्चात के रुक्मणि मंगल का सुंदर वर्णन आचार्य श्री ने किया ।आयोजन में गौरव तिवारी बसंत रावत शिवदत्त तिवारी श्याम सुंदर शर्मा ललित रावत अवनीश रावत सम्मिलित रहे।


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