दिनांक 26.6.2025 (दयाराम कुशवाहा नर्मदापुरम ) वन विभाग के नर्मदापुरम सामान्य वनमंडल से चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है। सूत्रों के अनुसार, वर्तमान में पदस्थ वनमंडल अधिकारी गुर्जर द्वारा विभागीय कर्मचारियों के प्रति अत्यधिक कठोर और तानाशाहीपूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि अधिकारी किसी राजनीतिक संरक्षण के चलते स्वयं को पूर्ण रूप से अजेय मानते हुए अधीनस्थों के साथ व्यवहार कर रहे हैं, जिससे विभागीय माहौल दिन-ब-दिन खराब होता जा रहा है।
कर्मचारियों में असंतोष, परंतु डर से चुप्पी
जिन कर्मचारियों को जंगलों की सुरक्षा व संरक्षण का दायित्व सौंपा गया है, वे आज मानसिक रूप से आहत और दबाव में हैं। हालांकि, वे खुलकर कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि नौकरी जाने का डर और प्रशासनिक दबाव उनके मनोबल को लगातार तोड़ रहा है।
कर्मचारी संघ भी मौन
प्रतीत हो रहा है। सूत्रों का कहना है कि संघ द्वारा कर्मचारियों की समस्याओं को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाने की कोई ठोस कोशिश नहीं की गई, जिससे कर्मचारियों का विश्वास भी संगठन से उठता जा रहा है।
कार्यालय में 'निगरानी', जंगल में लापरवाही?
सबसे गंभीर आरोप जो सामने आ रहे हैं, वे विभागीय संसाधनों के दुरुपयोग को लेकर हैं। सुरक्षा के लिए जिन कैमरों को जंगलों में लगाया जाना था, उन्हें वन विभाग के दफ्तर में बाबुओं और कर्मचारियों की निगरानी के लिए लगा दिया गया है। इससे न सिर्फ कर्मचारियों में असहजता बढ़ी है, बल्कि असली जरूरत यानी जंगल और वन्यजीव सुरक्षा भी पीछे छूट गई है।
क्या वन सुरक्षा अब पीछे रह जाएगी?
वनमंडल अधिकारी द्वारा जिस प्रकार का रवैया अपनाया जा रहा है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि विभागीय प्राथमिकताएं भी गलत दिशा में मोड़ दी गई हैं। जहां फील्ड स्टाफ को सुविधाएं और सहयोग मिलना चाहिए, वहीं उन्हें डर और निगरानी का सामना करना पड़ रहा है।
यह स्थिति अगर यूं ही बनी रही, तो भविष्य में वन्य सुरक्षा के मोर्चे पर गंभीर खामियां उजागर हो सकती हैं।